स्मरण/ याद करने की शक्ति कैसे बढ़ाये ?

विद्यार्थी जीवन में स्मरण शक्ति का एक महत्वपूर्ण स्थान है . जिसका सम्बन्ध हमारे मष्तिष्क से है . मस्तिष्क हमारे शरीर का उसी तरह से एक महत्वपूर्ण अंग है जिस तरह से हृदय , लीवर , गुर्दे , फेफड़े आदि है . जिस प्रकार शरीर के अन्य अंगों के कुछ गुण और कार्य होते है , ठीक उसी प्रकार मस्तिष्क के भी कुछ गुण एवं कार्य है .  जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण कार्य स्मरण शक्ति का है . स्मरण दिलाना और उसे स्मृति में रखना मस्तिस्क का कार्य तो है लेकिन उससे भी कहीं अधिक वह उसका गुण है . यह एक एसा तत्व है जिसे आपको हासिल करना पड़ता है , यह जन्मजात नही होता .

 

आपने मानसिक रूप से कमजोर बच्चे देखे होंगे , जिन्हें मद्बुद्धि कहते है , इन्हें कुछ भी समझाने और सिखाने की कोशिश कीजिये , ये आसानी से नही समझ पाते और यदि समझ भी जाते है तो बहुत जल्दी भूल जाते है . कुछ इसे लोग भी देखने को मिले होंगे , जिनकी याददाश्त आपको बहुत कमजोर लगी होगी .

  • राजनीती , युद्ध , क्यापर में ताकत का रहस्य एकाग्रता है , संक्षेप में मनुष्य के सभी कार्यों के प्रबंधन का :  रॉल्फ इमर्सन
  • जीनीयस खंडन में मौजूद स्वर्ण की तरह है और टेलेंट वह है , जो इसे बाहर लाता है .
  • जीनियस एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत श्रम है .
  • किसी सामान्य काम को असामन्य तरीके से करना ही असाधारणता है  : वाशिंगटन

 

अधिकांश वैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक स्मृति को एक प्रकार का गुण ही मानते है , बशर्ते की किसी में कोई विलक्षण क्षमता न हो . इतिहास इसे विलक्षण मस्तिष्क एवं स्मरण शक्ति वाले लोगो का प्रमाण प्रस्तुत करता है .

प्राचीन ग्रंथों में राजा भोज के दरबार में रहने वाले एक श्रुतिधर नाम के दरबारी का वर्णन मिलता है . उनकी स्मृति इतनी विलक्षण थी की वे एक घडी यानि की चौबीस मिनुत तक सुने जाने वाले किस भी प्रसंग के अंश को ज्यों का त्यों सुना देते थे . स्वामी विवेकानंद की स्मृति तो इतनी अद्भुत थी की उन्होंने शिकागो के पुस्तकालय से एक बड़ा विश्वकोश निकलवाया और उसके अगले ही दिन उन्होंने वह पुस्तके लौटे , तो उसके प्रष्टो को ज्यों का त्यों दोहराकर लाइब्रेरियन को आश्चर्य में डाल दिया . फ़्रांस के सम्राट नेपोलियन के बारे में तो खा जाता है की उन्हें अपने प्रत्येक सैनिक के नाम और पते याद थे . डॉ हेलेन कलर और ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुइ ब्रेल की स्मरण शक्ति गजब की थी .

अप्रत्यक्ष रूप से स्मृति भी एक अर्जित किया गया गुण है , न की जन्मजात गुण . ज्ञान और स्मृति के सही सामंजस्य से ही जीवल में सफलता प्राप्त होती है .

 

निराश न हो भूलने से :

 

विज्ञान इस बात को सिद्ध कर चूका है की हमारे मस्तिष्क पर एक बार जिस बस्तु का बिम्ब बन जाता है , वह फिर कभी नष्ट नही होता . आमतौर पर जिसे हम सब भूलना कहते है , वह किसी जानकारी का ख़त्म हो जाना नही होता , बल्कि उस जानकारी का गम हो जाना होता है . वह जानकारी हमारे दिमाग में तो है , लेकिन फ़िलहाल हमें मिल नही रही है . मिल इसलिए नही रही है , क्योंकि हमने रखते समय बहुत ध्यान नही दिया था . मिल इसलिए नही रही है , क्योंकि एक बार रख देने के बाद हमने दोबारा उसे ढूढने की कोशिश नही की , क्योंकि हमें उसकी जरूरत ही नही पड़ी .

विस्मृति ठीक उसी तरह है , जिस तरह हम अपनी कोई छोटी सी चीज घर में कहीं रखकर उसे भूल जाते है . जब जरूरत पड़ती है , तो उसे चीज बही , लेकिन मिल नही रही है और आपने देखा होगा की अचानक एक दिन वह मिल भी जाती है .

भूलने से निराश न हो . यह कोई बीमारी नही है . यह कई अवगुण नही है . यह दीमाग की कमजोरी भी नही है . यह मुख्यता : हमारी सतर्कता से जुडी हुई बात है . जिन कामों को हम सतर्क होकर करते है , वे काम लम्बे समय तक याद रहते है  और जिन कामों को हम यूँ ही कर देते है , वे यदि यूँ ही गायब भी हो जाते है तो फिर भला उसका क्या दोष और दोष आपका भी नही है . एसा इसलिए , क्योंकि एसा होता ही नही है की हम सारे ही कामों को पूरी सतर्कता के साथ कर सके . यही कारन है की हमारा मस्तिष्क हर दिन की लगभग 95 प्रतिशत सूचनाओं को मिटा देता है .

 जिन्हें हम भूलना चाहे , वो अक्सर याद आते है .

 

हमारे दिमाग में नई चीजो के लिय जगह बन सके , उसके लिए जरूरी है की हम अपने दिमाग से उन कचरों को निकरकर बहर फेंक दे जो बेकार में दिमाग की जगह घेरे हुए है. भूलने से यही काम होता है . फालतू की चीजें निकल जाती है लेकिन हमारी मुश्किल यह है की उसके साथ जरूरी चीजे भी निकल जाती है . इसलिए याद रखिये की भूलने की प्रक्रिया से मुक्त ही होना है , बल्कि आवश्यक बातों को भूलने की आदत से मुक्त होना है और एसा हम कर सकते है –

  • पढ़ते समय अपनी प्राथमिकताओं को निर्धारित करके .
  • दिमाग को फालतू की बातो से बचाकर
  • पढ़ी हुई बातों को बार बार दोहराकर
  • पढ़ी हुई बातों को लिखकर या किसी को सुनाकर या समझाकर .

क्या है स्मरण शक्ति ?

स्मरण शक्ति का अर्थ है की हमारा मस्तिष्क पढ़ी हुई बातों को कितने लम्बे समय तक याद रख सकता है और जरूरत पड़ने पर हमें कितनी जल्दी उसे दे सकता है . ये दोनों ही बाते स्मरण – सकती से जुडी हुई है . यदि आपको पढ़ी हुई बाते परीक्षा होल में याद नही आई , तो फिर बाद में याद आना किस काम का . इसलिए स्मरण शक्ति के साथ दोनों ही बाते जुडी हुई है –

  1. पढ़ा हुआ कितने लम्बे समय तक याद रहता है और
  2. कितनी जल्दी याद आ जाता है .

तो आइये , जाए समारं शक्ति की इस दुनी के बारे में एसी जरूरी बाते , जो आपके बहुत काम की होंगी –

  • अमेरिका के न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के स्चोल्ल ऑफ़ मेडिसीन के वैज्ञानिक एंटोनिया कन्वित ने अपने शोध में यह पाया की ‘ यदि व्यक्ति नियमित कसरत करे , तो बढती हुई उम्र के साथ उसकी याददाश्त भी कमजोर होने की बजाये बढती जाती है .
  • वैज्ञानिक एंटोनी कन्वित ने एक और शोध किया , उनके अनुसार यदि हमारे शरीर में ग्लूकोस की मात्रा नियंत्रित हो जाये , तो इससे भी हमारी स्मरण शक्ति प्रभावित होती है .यहाँ तक की इससे हमारे मस्तिष्क का महत्वपूर्ण भाग हिप्पोकैम्पस भी आकर में छोटा पद जाता है .  हिप्पोकैम्पस हमारे मस्तिष्क का वह भाग होता है जिसका स्मरण शक्ति से सीधा सरोकार होता है . इसलिए खाने में ग्लूकोस की मात्रा नियंत्रित रूप में ही ली जानी चाहिए .

 

क्या कोई ऐसी दवा बनी है , जिसके द्वारा स्मरण शक्ति बधाई जा सके ?

इस मत को लेकर डॉ एकमत नही है , लेकिन ज्यादातर वैज्ञानिक एवं डॉक्टर्स का यही मानना है की स्मरण शक्ति के लिए कोई दवा काम नही आती . हाँ , यदि कुछ दवाईयाँ और टोनिक लेने से किसी को इस बात का अनुभव होता है की उसकी स्मरण शक्ति बढ़ गयी है , तो वह दवाइयों के कारन नही बल्कि उन दवाइयों के उपयोग से उसमें आने वाले आत्मविश्वास के कारन होता है . सच तो यही है की जब आप अपनी स्मरण शक्ति पर भरोषा करने लगते है , तो वह सचमुच में बढ़ जाती है . दवाई इससे अधिक कुछ नही करती है .

 

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