शिक्षित बेरोजगारी की समस्या – निबंध

प्रस्तावना-

शिक्षित बेरोजगारी की समस्या इस देश की युवा पीढ़ी की सर्वाधिक विकराल समस्या है.शैशवावस्था से लेकर युवा होने तक प्राप्त की जाने वाली शिक्षा का सर्वप्रथम लक्ष्य ऐसा रोजगार प्राप्त करना होता है.जो देश की युवा पीढ़ी की योग्यता क्षमता एवं उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप है.अनुकूल रोजगार के अभाव में न तो कोई अपना और अपने परिवार का समुचित पालन पोषण कर सकता है.और न ही समाज या देश की उन्नति में अपना योगदान दे सकता है.इस प्रकार की स्थिति में है केवल भटक सकता है.सड़कों पर उन्मूल हो सकता है.आपराधिक कृत्यों की दिशा में जा सकता है.जिसकी तकदीर देश की तकदीर या भारत का भविष्य क्या है.जाने वाले देश के नवयुवकों की यह समस्त प्रकार की दुर्दशापुर्ण स्थितियाँ आज पग- पग पर घर-घर में सहजात से देखी जा सकती है. आओ इसके लिए जिम्मेदार है. वह सारी व्यवस्थाएं, वे सारे लोग जिनका दायित्व था.अब तक हर हाल में शिक्षित बेरोजगार की समस्याओं को जड़ से मिटा देने का.

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

बेरोजगारी का अर्थ-

बेरोजगारी का अभिप्राय उस स्थिति से है.जब कोई योग्य तथा काम करने के लिए इच्छुक व्यक्ति प्रचलित मजदूरी की दरों पर कार्य करने के लिए तैयार हो और उसे काम न मिलता हो.बालक वृद्ध रोगी अक्षम एवं अपंग व्यक्तियों को बेरोजगारों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता जो व्यक्ति काम करने की इच्छुक नहीं है.और परजीवी है.वे भी बेरोजगारी की श्रेणी में नहीं आते.

बेरोजगारी: एक प्रमुख समस्या-

भारत की आर्थिक समस्याओं के अंतर्गत बेरोजगारी एक समस्या है.न वस्तुतः यह एक ऐसी बुराई है.जिसके कारण केवल उत्पादक मानव शक्ति नष्ट नहीं होती.वरन् देश का भावी आर्थिक विकास भी अवरुद्ध हो जाता है.जो श्रमिक अपने कार्य द्वारा देश के विकास में सक्रिय सहयोग दे सकते थे.वे कार्य के अभाव में बेरोजगार रह जाते हैं.यह स्थिति हमारे आर्थिक विकास में बाधक है.

बेरोजगारी: एक अभिशाप-

बेरोजगारी किसी भी देश अथवा समाज के लिए अभिशाप होती है.इससे एक और निर्धनता भुखमरी तथा मानसिक अशांति फैलती है.तो दूसरी और युवकों में आक्रोश तथा अनुशासनहीनता को प्रोत्साहित मिलता है.चोरी डकैती हिंसा अपराध भर्ती एवं आत्महत्या आदि समस्याओं के मूल में एक बड़ी सीमा तक रोजगारी ही विद्यमान है.बेरोजगारी एक ऐसा भयंकर विषय है.जो संपूर्ण देश के आर्थिक सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन को दूषित कर देता है.अतः उसके कारणों को खोज कर उनका निराकारण किया जाना अत्यंत आवश्यक है.

बेरोजगारी के कारण-

हमारे देश में बेरोजगारी के अनेक कारण है इनमें से कुछ प्रमुख कारणों का उल्लेख निम्नलिखित है

(क) जनसंख्या में वृद्धि- रोजगारी का प्रमुख कारण है.जनसंख्या में तीव्रगति से वृद्धि हुई कुछ दशकों में भारत में जनसंख्या का विस्फोट हुआ है.2011 की जनसंख्या के अनुसार हमारे देश की जनसंख्या में प्रतिवर्ष 1.63% की वृद्धि हो जाती है; जबकि इस दर से बेकार हो रहे व्यक्तियों के लिए हमारे देश में रोजगार की व्यवस्था नहीं है.

(ख) दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली- भारतीय शिक्षा सैद्धांतिक एक अधिक और व्यवहारिक कम है.इनमें पुस्तकीय ज्ञान पर ही विशेष ध्यान दिया जाता है.फलतः यहां के स्कूल कॉलेजों से निकलने वाले छात्र दफ्तर के लिए एक ही बन पाते है.वहीं निजी उद्योगों-धन्धे के स्थापित करने योग्य नहीं बन पाते है.

(ग) कुटीर उद्योगो की भी उपेक्षा- ब्रिटिश सरकार की कुटीर उद्योग विरोधी नीति के कारण देश में कुटीर उद्योग धन्धे का पतन हो गया फलस्वरुप अनेक कार्य कर बेकार हो गए. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भी कुटीर उद्योग के विकास की ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया.अतः बेरोजगारी में नियंत्रण वृद्धि होती गई.

(घ) औद्योगीकरण की मंद प्रक्रिया- विगत पंचवर्षीय योजनाओं में देश की औद्योगिक विकास के लिए प्रशांसनिक कदम उठाए गए हैं.किंतु उससे सुमचित रूप से देश का औद्योगिककरण नहीं किया जा सका है.अतः बेकार व्यक्तियों के लिए रोजगार नहीं जुटाए जा सके है.

(ड़) कृषि का पिछड़ापन- भारत की लगभग 62℅ जनता कृषि पर निर्भर है.कृषि की अत्यंत बिछड़ी हुई दशा में होने के कारण कृषि भी बेरोजगारी की समस्या व्यापक हो गई है.

(च) कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों की कमी- हमारे देश में कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों की कमी है.अतः उद्योगों के सफल संचालन के लिए विदेश से प्रशिक्षित कर्मचारी बुलाने पड़ते हैं.इस कारण से देश के कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों के बेकार हो जाने की भी समस्या हो जाती है.इनके अतिरिक्त मानसून की अनियमितता भारी संख्या में शरणार्थियों का आगमन मशीनीकरण के फलस्वरूप होने वाली श्रमिकों की छंटनी, श्रम की मांग एवं पूर्ति में असंतुलन आर्थिक साधनों की कमी आदि से भी बेरोजगारी में वृद्धि हुई है.देश को बेरोजगारी से उबारने के लिए इनका समुचित समाधान नितांत आवश्यक है.

बेरोजगारी दूर करने के उपाय-

बेरोजगारी को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-

(क) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण- जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि बेरोजगारी का मूल कारण है.अतः इस पर नियंत्रण बहुत आवश्यक है.जनता को परिवार नियोजन का महत्व समझते हुए उसमें छोटे परिवार के प्रति चेतना जाग्रत करनी चाहिए.

(ख) शिक्षा- प्रणाली में व्यापक परिवर्तन- शिक्ष कों व्यवसायप्रधान बनाकर.शरीरिक श्रम को भी उचित महत्व दिया जाना चाहिए.

(ग) कुटीर उद्योगों का विकास- कुटीर उद्योगों के विकास की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए.

(घ) औद्योगीकरण- देश में व्यापक स्तर पर औद्योगीकरण किया जाना चाहिए. इसके लिए विशाल उद्योगों की अपेक्षा लघुस्तरीय उद्योगों को अधिक प्रोत्साहित दिया जाना चाहिए.

(ड़) सहकारी खेती- कृषि के क्षेत्र में अधिकाधिक व्यक्तियों को रोजगार देने के लिए सहकारी खेती को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.

(छ) राष्ट्र- निर्माण संबंधित विविध कार्य – देश में बेरोजगारी को दूर करने के लिए राष्ट्र- निर्माण संबंधित विविध कार्यों का विस्तार किया जाना चाहिए.यथा- सड़कों का निर्माण रेल- परिवहन का विकास पुल- निर्माण बांद- निर्माण तथा वृक्षारोपण आदि.

(ज) मेड इन इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया योजना- देश से बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में मेक इन इंडिया ऑफ़ स्टार्ट अप इंडिया योजनाएं आरंभ की गई है.इन योजनाओं के अंतर्गत देश में उद्योग -धंधों की स्थापना के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हेतु देश के द्वार खोल दिए गए हैं.अनेक विदेशी कंपनियां इस योजना का लाभ उठाकर यहाँ नए उद्योग स्थापित कर रही है, जिससे बड़ी मात्रा में देश के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होगे स्वदेश उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने मुद्रा लोन की शुरुआत की है.जिसके आंध्र प्रदेश के विरोध गार युवा 5000 से 50 लाख तक का ऋण उद्योग-धन्धो की स्थापना के लिए बैंकों से प्राप्त कर सकते हैं.इस योजना के अंतर्गत स्थापित उद्योगों को अनेक ट्रैकों में छूट और दूसरी रियायते प्रदान की गई है.इससे निश्चय ही देश में बेरोजगारी कम होगी.

उपसंहार-

स्पष्ट ही है.कि हमारी सरकार विरोध जारी उन्मूलन के प्रति जागरूक है.और इस दिशा में उसने महत्वपूर्ण कदम भी उठाए हैं.परिवार नियोजन बैंकों का राष्ट्रीयकरण कच्चा माल एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की सुविधा कृषि भूमि की हदबंदी नए नए उद्योगों की स्थापना है.वह अप्रिंटर्स योजना प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना आदि अनेकानेक कार्य ऐसे हैं.जो बेरोजगार को दूर करने में एक सीमा तक सहायक सिद्ध हुए हैं.इनको और अधिक विस्तार एवं प्रभावी बनाने की दिशा में भारत सरकार कटिबद्ध है.

इन्हें भी पढ़े….

दूर -संचार में क्रांति- निबंध

शिक्षित बेरोजगारी की समस्या – निबंध

बढ़े बेटियां, पढ़े बेटियां अथवा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

कम्प्यूटर: आधुनिक यंत्र -पुरुष अथवा कम्प्यूटर प्रयोग से लाभ तथा हानि

मेरे प्रिय कवि: तुलसीदास – जीवन परिचय एवं निबंध

योग – शिक्षा: आवश्यकता एवं उपयोगिता – निबंध

स्वच्छ भारत अभियान – निबंध

Leave a Comment

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now
X
Post Office KVP Yojana में 5 लाख के मिलते है 10 लाख रूपये, जाने पैसा कितने दिनों में होगा डबल SSC GD 2024 Result, Merit List Cut-Off What is the Full Form of NASA? How Google CEO Sunder Pichai Starts his Day
Copy link
Powered by Social Snap