योग – शिक्षा: आवश्यकता एवं उपयोगिता – निबंध

प्रस्तावना-

योग, शब्द की उत्पति भाषा के युज, शब्द से हुई है.जिसका अर्थ है.सम्बद्ध करना, जोडना अथवा सम्मिलित करना एक अन्य अर्थ में शरीर एवं आत्मा का मिलन योग कहलाता है.योग की उत्पत्ति के सम्बन्ध में मान्यता है.कि योग उत्पत्ति भारत में लगभग 500ई०पू० हुई प्रारमभ में योग विद्या गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत पुरानी पीढ़ी से नई पीढ़ी को हस्तांतरित होती थी.लगभग 200ई० पू० में महर्षि पतंजलि ने योग इसलिए महर्षि पतंजलि को योग का प्रणेता कहा जात हैै. जिंदा भी तो आज भी विभिन्न व्यक्ति योग को एक शारीरिक व्यायाम ही मानते है.जिसमें विभिन्न तरीकों से शरीर को मोडते, वकर बनाते खींचते तथा हैं. सांस लेते हैं.हिंदू बौद्ध तथा जैन धर्मों में योग का अर्थ अध्यात्मिक अनुशासन माना जाता है.लोग प्राय: योग को विभिन्न आसनो तथा मुद्राओ जोड़ते हैं.जिसका प्रयोग व्यायाम के दौरान शरीरिक एक क्रियाकलाप में किया जाता है, किंतु इसका सुक्ष्म निरीक्षण करने पर यह स्पष्ट हो जाता है.कि योग के अन्य बहुत से पहलू है.

योग का महत्व-

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में योग का अत्यधिक महत्व क्योंकि यह शरीर तथा मस्तिष्क बीच संबंध को संतुलित करने में सहायता करता है.यह एक ऐसा व्यायाम है.जो नियमित अभ्यास के द्वारा शाऔरीरिक तथा मानसिक अनुशासन सीखने में सहायता प्रदान करता है.योग के कई प्रकार है.जैसे राज योग ज्ञान योग भक्ति योग कर्म योग हठ योग आदि सामान्य:भारत मैं विभिन्न लोगों द्वारा हठयोग के विभिन्न आसनों का अभ्यान किया जाता है. भारत के सुझाव सदस्य हेल्प करने पर (संयुक्त राष्ट्रसामान्य सभा द्वारा) प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस अथवा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई है. योग एक चिकित्सा है जो नियमित अभ्यास करने पर धीरे-धीरे रोग से मुक्ति दिला सकती है. योग हमारे शरीर के आंतरिक अंगों में सकारात्मक परिवर्तन लाता है.तथा उनकी कार्यप्रणाली को नियमित करता है.

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योग के लाभ-

चिकित्सीय तथा मनोवैज्ञानिक अध्ययनों ने यह प्रदर्शित किया है.कि योग करने के निम्नलिखित लाभ है –

(1) शरीरिक मुद्राएं मांसपेशियों को सुदृढ व सुडौल बनाती तथा जब उन्होंने तेजी से दोहराया जाता हैं, तू तो ये हदय वाहिनी अनुकूलन मे लाभ प्रदान करती है.

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(2) ध्यन तथा गहरी सांस लेने से तनाव कम किया जा सकता है जिससे रक्तचाप सामान्य होता है.तथा विश्राम मिलता है.

(3) मन /शरीर के प्रति जागरूकता हमारे मनोदशा सुधार आत्मसम्मान में वृद्धि करके जीवन के स्तर में सुधार ला सकता है.

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व्यायाम और तनाव नियन्त्रण के साथ साथ योग की प्रक्रिया आत्मा को पूर्ण शुद्धि प्रदान करती है.जो सभी मनुष्यों के लिए एक अनिवार्य स्थिति है.योग रोगो से बचाव में भी सहायक है.जो लोग नियमित रूप से योग का अभ्यास अभ्यास करते हैं.उनका प्रतिरक्षा तंत्र अत्यधिक विकसित हो जाता है.वे बहुत से रोगो से बचने में सक्षम हो जाते है.योग शरीर तथा मस्तिष्क को सीखने की कठिनाइयों से मुक्ति प्रदान करता है.यह विद्यार्थियों को कक्षा में अध्ययन करते समय अथवा सीखते समय बेहतर रूप से ध्यान लगाने में सहायता प्रदान करता है.जो विद्यार्थी योगाभ्यास करते हैं.वे पर्याप्त नींद लेते हैं.तथा उनकी एकग्रता में भी सुधार आता है. योग मुद्राएँ अभ्यासकर्ता को सम्पूर्ण उन्नत स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्यता प्राप्त करने में सहायक है. निरंतर योगाभ्यास करने से सभी आंतरिक प्रणालियों तथा शरीर के विभिन्न अंगों को क्रियाशील बनाए रखने में सहायता मिलती है. ऐसी कई आसान तथा व्यायाम है.जो हमारे शरीर को तनाव से मुक्ति या शिथिलता प्रदान करते हैं. जिसमें व्यक्ति किसी समतल सतह पर अपने पूरे शरीर को विश्राम देते हुए सीधा लेट जाता है. इस प्रकार यह एक थकान को दूर करने के सौ सौ तनाव मुक्ति में भी सहायता प्रदान करता है. निरंतर योगोभ्यास करने वाला व्यक्ति जो यम तथा नियम का पालन करता है.वह सत्यवादिता, सन्तुष्टि तथा शांति का गुण को प्राप्त कर लेता है.इस पर कार्य है.जीवन में विभिन्न नैतिक मूल्यों की प्राप्ति में अत्यधिक सहायक है.योग दैनिक जीवन के विभिन्न परिस्थितियों तथा श्री श्रमसाध्य कार्य के कारण उत्पन्न मानसिक थकान तथा कठिनाइयों को कम करने में अत्यधिक सहायक है.यह हमारे मस्तिष्क को शांत करता है.हमारी आंतरिक शक्ति को विकसित करताहै दक्षता तथा संयम में वृद्धि करता है.

उपसंहार-

यद्यपि भारत में योग परंपरा अत्यंत प्राचीन काल से रही है.किंतु आधुनिक युग का वैश्विक शिकागो प्रचार आता है.1893 में हुए सर्वधर्म सम्मेलन से माना जाता है. इसमें युवा योगी संन्यासी स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिकी लोगों पर एक अमिट छाप छोडी थी. और वर्तमान में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के स्वामी रामदेव ने योग को भारत सहित विदेशों में भी घर-घर तक पहुंचा दिया वस्तुत: योग भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है.तथा इतिहास के प्रत्येक काल में इसमें परिवर्तन देखे गए. सच्चे भारत के अभिन्न अंग बने तथा शरीर व आत्मा की प्रगति के लिए योग सीखें.

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