जीवन परिचय : महादेवी वर्मा | Mahadevi Varma

जीवन परिचय : महादेवी वर्मा | Mahadevi Varma

जीवन परिचय : महादेवी वर्मा  | Mahadevi Varma

जीवन परिचय एवं साहित्यिक उपलब्धिया

महादेवी वर्मा का जन्म फर्रुखाबाद के एक प्रतिष्ठित शिक्षित कायस्थ परिवार मे वर्ष 1907 मे हुआ था। इनकी माता हेमरानी हिंदी व संस्कृत की ज्ञाता तथा साधारण कवियत्री थी। नाना व माता के गुणों का प्रभाव महादेवी जी पर पड़ा। नौ वर्ष की छोटी आयु मे ही विवाह हो जाने के बावजूद इन्होने अपना अध्ययन जारी रखा। महादेवी वर्मा का दाम्पत्य जीवन सफल नहीं रहा। विवाह के बाद उन्होंने अपनी परीक्षाए सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की। उन्होंने घर पर ही चित्रकला और संगीत की शिक्षा अर्जित की। इनकी उच्च शिक्षा प्रयाग मे हुई। कुछ समय तक इन्होने ‘ चाँद पत्रिका का सम्पादन भी किया। इन्होने शिक्षा समाप्ति के बाद वर्ष 1933 से प्रयाग महिला विद्यापीठ के प्रधानाचार्या पद को सुशोभित किया। इनकी काव्यात्मक प्रतिभा के लिए इन्हे हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा ‘ सेकसरिया ‘ एवं ‘ मंगला प्रसाद ‘ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वर्ष 1983 मे ‘ भारत – भारती ‘ तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया। भारत सरकार द्वारा ‘ पद्मभूषण ‘ सम्मान से सम्मानित इस महान लेखिका का स्वर्गवास 11 सितम्बर,1987 को हो गया।

साहित्यिक गतिविधिया

छायावाद की प्रमुख प्रतिनिधि महादेवी वर्मा का नारी के प्रति विशेष दृष्टिकोण एवं भावुकता होने ke कारण उनके काव्य मे रहस्यवाद, वेदना भाव, आलौकिक प्रेम आदि की अभिव्यक्ति हुई है। महादेवी वर्मा की ‘ चाँद ‘ पत्रिका मे रचनाओ के प्रकाशन के पश्चात उन्हें विशेष प्रसिद्धि प्राप्त हुई।

कृतिया

इनका प्रथम प्रकाशित काव्य संग्रह ‘ नीहार ‘ है।’ रश्मि ‘ संग्रह मे आत्मा – परमात्मा के मधुर सम्बन्धो पर आधारित गीत संकलित है।’ नीरजा ‘ मे प्रकृति प्रधान गीत संकलित है।’ सांध्यगीत ‘ के गीतों मे परमात्मा से मिलन का आनंदमय चित्रण है।’ दीपशिखा ‘ मे रहस्यभावना प्रधान गीतों को संकलित किया गया है इसके अतिरिक्त ‘ अतीत के चलचित्र ‘,’ स्मृति की रेखाए ‘, श्रृंखला की कड़िया ‘ आदि इनकी गद्द रचनाए है।’ यामा ‘ मे इनके गीतों का संग्रह प्रकाशित हुआ है।

हिंदी साहित्य मे स्थान

महादेवी वर्मा छायावाद युग की एक महान कवित्री समझी जाती है। इनके भावपक्ष और कलापक्ष दोनों ही अद्वितीय है। सरस कल्पना, भावुकता एवं वेदनापूर्ण भावो को अभिव्यक्ति करने की दृष्टि से इन्हे अपूर्व सफलता प्राप्त हुई है। कल्पना के अलौकिक हिण्डोले पर बैठकर इन्होने जिस काव्य का सृजन किया, वह हिंदी साहित्यकाश मे ध्रुवतारे की भाति चमकता रहेगा।

 

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