Indian Rebellion of 1857: What’s today में जानिए क्या हुआ था आज ही के दिन, विस्तार पूर्वक जानिए कैसे हुई थी अंग्रेजो के खिलाफ जंग की शुरुआत

Indian Rebellion of 1857: नमस्कार दोस्तों आज हम आपके लिए एक और नया पोस्ट लेकर उपस्थित हुए हैं। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको आज के दिन यानी 10 मई 1857 को हुई क्रांति के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे, कैसे यह क्रांति शुरू हो पाई और क्यों इस क्रांति को देश की आजादी के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर आप भी भारत के इतिहास में रुचि रखते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं पूरी खबर जानने के लिए पोस्ट में अंत तक बने रहें……

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1857ई. में शामिल प्रमुख नेताओं का चित्र विकिपीडिया सौजन्य से
Indian Rebellion of 1857

10 मई देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है इस दिन ही साल 1857 मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ से आजादी की पहली चिंगारी जली थी। दरअसल 10 मई 1857 को कुछ भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और पूरे मेरठ पर कब्जा भी कर लिया था। तो चलिए आइए जानते हैं यह सब घटनाक्रम किस प्रकार हो पाया था।Indian Rebellion of 1857

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कैसे हुई थी क्रांति की शुरुआत The Indian Rebellion of 1857

दरअसल उस वक्त मेरठ 1 तरीके से छावनी इलाका था। यहां अंग्रेजी और भारतीय सैनिकों के बैरक बने हुए थे और दोनों भारतीय और अंग्रेजी सैनिक अलग-अलग जंगहो पर रहा करते थे। उस वक्त अंग्रेजी सैनिक भारतीय सैनिकों के खिलाफ नस्लभेद टिप्पणी कर उन्हें काली पलटन कहकर बुलाते थे। वहीं पर पास में ही एक शिव मंदिर वह करता था जहां सभी भारतीय सैनिक पूजा पाठ करते थे।

इसी मंदिर से भारत की पहली आजादी की लड़ाई की शुरुआत हुई थी।

दरअसल 10 मई 1857 मंदिर मैं बने प्याऊ पर कुछ सैनिक पानी पीने के लिए पहुंचे थे लेकिन उस समय मंदिर के पुजारी ने सैनिकों को पानी पिलाने से साफ इनकार कर दिया था। इसके पीछे पुजारी का कहना था कि क्योंकि वह सैनिक गाय और सुअर की चर्बी से बने हुए कारतूस को अपने मुंह से खोलते हैं इसलिए वह इन सैनिकों को अपने हाथों से जल नहीं पीला सकते।

मंदिर के पुजारी की यह बात सुनकर भारतीय सैनिकों को बहुत बुरा लगा और उन्होंने फैसला किया कि अब चाहे जो कुछ भी हो वह उन कारतूस को मुंह नहीं लगाएंगे।Indian Rebellion of 1857

आपको बता दें पहले कारतूस को मुंह से काटकर ही बंदूक में लगाना पड़ता था और यह कहा जाता था कि यह कारतूस बनाने में गाय और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था।

इससे पहले मंगल पांडे भी इसी कारतूस को लेकर विद्रोह हो कर चुके थे और उनके विद्रोह की बात भी चारों तरफ फैल चुकी थी।

The Indian Rebellion of 1857

10 मई 1857 को रविवार का दिन था इसलिए ज्यादातर अंग्रेज सैनिक चर्च में गए हुए थे इस दौरान जब निशानेबाजी के अभ्यास का समय हुआ तो भारतीय सैनिकों ने कारतूस को दांतो से खोलने से साफ इंकार कर दिया और इसी बात को लेकर अंग्रेजी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच लड़ाई हो गई। भारतीय सैनिकों ने 3 अंग्रेजी अफसरों को वहीं पर ढेर कर दिया इसके बाद यह बात आग की तरह फैल गई और बाकी बचे भारतीय सैनिकों ने भी अंग्रेजी सैनिकों पर हमला बोल दिया।

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उसके बाद भारतीय सैनिकों ने मिलकर चर्च पर भी धावा बोल दिया और वहां पर भी कई अंग्रेजी सैनिकों को ढेर कर डाला इसके बाद भारतीय सैनिकों की इस क्रांति में मेरठ के आम लोग भी शामिल हो गए और देखते ही देखते हैं जल्द ही पूरे मेरठ पर भारतीय सैनिकों ने कब्जा कर लिया। जल्द ही विद्रोह की चिंगारी आसपास के इलाकों में भी फैल गई और इसी प्रकार 1857 क्रांति की शुरुआत हुई जिसे भारत की पहली लड़ाई भी कहते हैं।Indian Rebellion of 1857

मुख्यमंत्री योगी भी आज होंगे कार्यक्रम में शामिल

क्रांति दिवस में हिस्सा लेने के लिए मुख्यमंत्री योगी आज यानी 10 मई को मेरठ पहुंचेंगे मुख्यमंत्री यहां स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में शहीदों को नमन करेंगे।

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Indian Rebellion of 1857

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