यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय – महत्वपूर्ण प्रश्न -2

फ्रांसीसी कलाकार फ्रेडरिक सॉरयू के चार चित्रों की श्रंखला।

यूरोप में कुलीन वर्ग, अत्याचारी राजाओं और साम्राज्यवादी देशों से छुटकारा पाने के लिए वहां के लोगों में एक ऐसे समाज और राष्ट्रीय की इच्छा उत्पन्न होने लगी थी, जिसमें सभी सुखी और राष्ट्र की इच्छा उत्पन्न होने लगी थी जिसमें सभी सुखी रह सके यहां तक कि इस प्रकार की आदर्श कल्पनाओ उदय हुआ, जिसका साकार होना लगभग असंभव था। फिर भी इंकलाब नाव का अपना विशेष महत्व था। इन कल्पनाओं से ही लोगों को एक राष्ट्र, संघर्ष, विद्रोह, स्वतंत्रता और आजादी की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा प्राप्त हुई। ऐसे ही एक काल्पनिक चित्र फ्रांसीसी कलाकार फ्रेडरिक सॉरयू ने बनाया। उसका यह चित्र 4 चित्रों की श्रृंखला थी इसमें उसके कल्पनादर्श (यूटोपिया) को दर्शाया गया था। इन चित्रों में जनतंत्र, गणतंत्र, स्वतंत्र, उदारवाद और विभिन्न राष्ट्रों के मध्य भाईचारे की भावना को देखने का प्रयास किया गया था।

इस श्रृंखला के पहले चित्र में यूरोप और अमेरिका के लोग अलग-अलग राष्ट्र के समूह में बटे हुए हैं। उनकी पहचान; उसकी वेशभूषा उनके प्रतिको और कपड़ों को देखकर हो सकती है। जिन देशों को इस चित्र में दिखाया गया है ,वे देश है अमेरिका, स्वीटजरलैंड ,फ्रांस ,जर्मनी ,ऑस्ट्रेलिया ,पोलैंड, इंग्लैंड, आयरलैंड ,हंगरी और रूस। इन देशों के लोग एक लंबी कतार में चित्र में दिखाई गई स्वतंत्रता की प्रतिमा की वंदना करते हुए दिखाया गए हैं। फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस के कलाकार स्वतंत्रता को एक महिला के रूप में ही चित्रित करते थे। स्वतंत्रता की एक प्रतिमा के एक हाथ में ज्ञानोदय की मशाल है और दूसरे हाथ में मनुष्य के अधिकारों का घोषणा-पत्र। प्रतिमा के सामने जमीन पर निरंकुश संस्थानों के ध्वस्त अवशेष दिखाया गया है।

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