चुनावी साल में सरकारी कर्मचारी, अतिथि विद्वान, संविदा शिक्षक, संविदा कर्मचारी व अन्य कर्मचारियों समेत शिवराज सरकार को उसका वादा याद दिला रहे हैं और इशारों-इशारों में चेतावनी भी दे रहे हैं.
MP NEWS 2023 : मध्य प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, शिवराज सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और उनके सहयोगी संगठन के नेताओं के साथ विकास यात्रा की तैयारी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है. इस दौरान अतिथि विद्वानों ने भी सरकार के खिलाफ विरोध जताया है। मोर्चा खोल दिया है
प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कार्यरत अतिथि विद्वानों ने शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अतिथि विद्वानों ने आज राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में एक दिवसीय वचन स्मृति सभा का आयोजन किया, जिसमें प्रदेश भर से हजारों अतिथि विद्वानों ने भाग लिया। नियमित करने की अपनी मांग को दोहराते हुए सभी ने एक स्वर से प्रदेश अध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान से भविष्य सुरक्षित करने की अपील की.
शिवराज ने कांग्रेस सरकार के दौरान समर्थन किया था
अतिथि विद्वानों ने याद दिलाया कि शिवराज सिंह चौहान सहित स्वयं शिवराज सिंह चौहान, डॉ. नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, वीडी शर्मा, प्रज्ञा सिंह, सीताशरण शर्मा जैसे भाजपा के कद्दावर नेता विपक्ष में रहते हुए अतिथि विद्वानों के आंदोलन में शामिल हुए थे और 16 दिसंबर 2019 को शिवराज सिंह ने कहा था कि टाइगर अभी जिंदा है, उस वक्त शिवराज सिंह चौहान ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से कहा था- अतिथि विद्वानों को नियमित करें कमलनाथ, नहीं तो अतिथि विद्वानों का संकट ले डूबेगा। शिक्षकों ने कहा कि उस समय कांग्रेस ने अतिथि विद्वानों के नियमितिकरण को लेकर नोटशीट तैयार की थी, लेकिन कांग्रेस सरकार चली गई और फिर अतिथि विद्वान हर बार की तरह राजनीति का शिकार हो गए.
पीएससी से पहले अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित किया जाए
आंदोलन में अतिथि विद्वानों में काफी नाराजगी देखी गई। संघ के मीडिया प्रभारी डॉ. आशीष पाण्डेय ने कहा कि मध्यप्रदेश के मूलनिवासी महाविद्यालय अतिथि विद्वानों को नियमित करने के बाद शेष पदों पर सरकार पीएससी से भर्ती करे. आने वाले विद्वानों के पास काफी अनुभव और योग्यता है। डॉ. पांडेय ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार चाहती क्या है? अतिथि विद्वानों के पास अनुभव और योग्यता दोनों है तो नियमित क्यों नहीं। सरकार जल्द उचित निर्णय ले। आज भी पीएससी 2017 विवादों में घिरी है।
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अतिथि विद्वानों के प्रति संवेदनशील शिवराज, असंवेदनशील क्यों?
आंदोलनरत अतिथि विद्वानों की आंखें नम थीं और दर्द साफ झलक रहा था। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे डॉ. देवराज सिंह और डॉ. बीएल दोहरे ने सरकार से मांग की कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इतने संवेदनशील हैं तो अतिथि विद्वानों के प्रति असंवेदनशील। क्यों? विपक्ष में रहते हुए पूरी भाजपा सरकार अतिथि विद्वानों के साथ सड़क से लेकर सदन तक आवाज उठा रही थी, लेकिन सत्ता में आते ही अतिथि विद्वानों की अनदेखी क्यों कर रही है?
अतिथि विद्वानों ने कहा कि अतिथि विद्वानों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सरकार को उचित निर्णय लेना चाहिए। इस प्रदर्शन में समन्वयक डॉ. संजय पाण्डेय, डॉ. लक्ष्मी दास, डॉ. नागिन खेड़े, डॉ. नीमा सिंह ने प्रदेश भर से आए अतिथि विद्वानों का आभार व्यक्त किया और यह भी कहा कि तैयार रहें, यदि सरकार नहीं मानती है मांग, तो वे राजधानी में आएंगे। आंदोलन में प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों ने मंच पर आकर अतिथि विद्वानों का समर्थन किया।