फ्रांसीसी क्रांति और राष्ट्रीय का विचार।
यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना के विकास का सर्वप्रथम परिणाम फ्रांस की 1789 ई° की क्रांति में देखने को मिला फ्रांस में राष्ट्रवाद की भावना व्यापक रूप से विकसित हुई। वहा के बुद्धिजीवियों, अनेक क्रांतिकारी नेताओं और विद्रोह के लिए तैयार जनता ने मिलकर राजतंत्र का विरोध किया। जिस समय 1789 ई° में फ्रांस में पहली क्रांति हुई, उस समय वहां का राजा था। वहां एक निरंकुश शासक था। उसे जनता के हितों की कोई परवाह नहीं थी। फ्रांस में साधारण जनता की दशा अत्यंत खराब थी फ्रांस की आर्थिक स्थिति भी दयनीय हो चुकी थी। लुई सोलहवा पूरी तरह अयोग्य शासक था। वह अपनी शान-शौकत को बनाए रखने के लिए राजकोष का दुरुपयोग कर रहा था फ्रांस में धनी, सामंत, कुलीन और पादरियों को जो सुविधा प्राप्त थी। वे साधारण जनता को प्राप्त नहीं थी। देश में कानून भी सभी के लिए समान नहीं था। इन स्थितियों में ही देश के किसानों, मध्यमवर्ग और साधारण जनता ने राजा और उसक शासन के प्रति असंतोष व्यक्त करना शुरू कर दिया। राष्ट्रवादी नेताओं ,बुद्धिजीवियों तथा रूसो और वाल्टेयर जैसे दार्शनिको के विचारों का उन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा वे फ्रांसीसी शासन के प्रति विद्रोही हो उठे और अंतर इसी के परिणाम स्वरूप 1789 ई° में फ्रांस में एक ऐसी क्रांति हुई जिसने न केवल फ्रांस को वरन समस्त यूरोप को प्रभावित किया। इस क्रांति के कारण ही फ्रांस में राजतंत्र समाप्त हो गया फ्रांस के राजा और उसकी रानी को मौत के घाट उतार दिया गया। तथा राजतंत्र के स्थान पर प्रभुसता फ्रांस के नागरिकों में हस्तांतरित हो गई।