यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय – महत्वपूर्ण प्रश्न – 13

1830 ई° के दशक में यूरोप में भारी कठिनाईया।

1830 ई° का दशक यूरोप के लिए अनेक कठिनाइयों और विपदाओ का वर्ष था जनसंख्या वृद्धि, रोजगार की समस्या भूख और निर्धनता के कारण यूरोप में अधिकांश लोगों की दशा अत्यंत खराब हो गई थी। 19वीं सदी के मध्य भाग में सारे यूरोप में जनसंख्या की अत्यंत तीव्र गति से वृद्धि हुई अधिकांश देशों में बेरोजगारी की संख्या उपलब्ध रोजगार से अधिक थी। ग्रामीण क्षेत्रों की अतिरिक्त आबादी से जाकर भीड़ से भरी गरीब बस्तियों में जाकर रहने लगी थी। यूरोप के उन क्षेत्रों में, जहां कुलीन वर्ग अभी भी सत्ता में था, महा किसान; सामानती-शुल्क और अपनी अनेक जिम्मेदारियों के बोझ के तले दबे जा रहे थे। खाने पीने की वस्तुओं के मूल्य निरंतर बढ़ रहे थे। फसल खराब होने की दशा में यूरोप के शहरों और नगरों में गरीबी और भुखमरी फेल जाती थी। इस स्थिति में परेशान होकर गांव के किसान अपनी खेती को छोड़कर रोजगार की तलाश में नगरों की और आते थे, परंतु वहां पहले से ही बेरोजगारी थी। इंग्लैंड के औद्योगीकरण की दृष्टि से आगे होने के कारण यूरोप के के अन्य देशों के उद्योगों का उत्पादन प्रभावित होने लगा था और यूरोप के देशों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही थी।

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