पर्यावरण प्रदूषण [ Pollution ] समस्या और समाधान जानिए।

प्रस्तावना। जो हमें चारों ओर से परिवर्तित किए हुए हैं वही हमारा पर्यावरण है इस पर्यावरण के प्रति जागरूकता आज की प्रमुख आवश्यकता है. क्योंकि यह प्रदूषित हो रहा [ Pollution ] है प्रदूषण की समस्या प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत के लिए अज्ञात थे यह वर्तमान युग में हुई औद्योगिक प्रगति के निर्माण के फलस्वरुप उत्पन्न हुई है आज इसने इतना विकराल रूप धारण कर लिया है कि इससे मानवता के विनाश का संकट उत्पन्न हो गया है मानव जीवन मुख्यतः स्वस्थ वायु और जल पर निर्भर है किंतु यदि यह दोनों ही चीजें प्रदूषित हो जाए तो मानव के अस्तित्व को ही भय पैदा हो ना स्वभाविक है अतः इस भयंकर समस्या के कारणों एवं उनके नी कारण के उपाय पर विचार करना मानव मात्र के हित में है।

प्रदूषण [ Pollution ] का अर्थ। स्वस्थ वातावरण में ही जीवन का विकास संभव है पर्यावरण का निर्माण प्रकृति के द्वारा किया गया है प्रकृति द्वारा प्रदत्त पर्यावरण जीव धारियों के निकुल होता है जब इस पर्यावरण में इन्हीं तत्वों का अनुपात इस रूप में बदलने लगता है जिसका जीव धारियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना होती है तब कहा जाता है कि पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है औद्योगिक तथा रसायनिक कूड़े कचरे के ढेर से पृथ्वी हवा तथा पानी प्रदूषित [ Pollution ] हो रहे हैं।

air pollution cause 1280x596 1

वायु प्रदूषण [ Pollution ] वायु जीवन का अनिवार्य स्रोत है प्रत्येक प्राणी को स्वस्थ रुप से जीने के लिए शुद्ध वायु की आवश्यकता होती है जिन कारण वायुमंडल में इसका विशेष अनुपात होना आवश्यक है जीव धारियों सांस द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करता है और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है यह पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं इससे वायुमंडल में शुद्धता बनी रहती है परंतु मानव की अज्ञानता और स्वार्थी प्रकृति के कारण आज वृक्षों का अत्याधिक कटाव हो रहा है घने जंगलों से ढके पहाड़ आज नंगे दिख रहे हैं इससे ऑक्सीजन का संतुलन बिगड़ रहा है और वायु अनेक कारणों से हानिकारक गैसों से प्रदूषित हो रही है इसके अलावा कोयले तेल धातु कारणों तथा कारखानों की चिमनी के धुए से हवा में आने वाले हानिकारक गैस भर गई है साथ ही फेफड़े भी कालिक के खतरनाक महीन परत से ढक जाते हैं।

navbharat times

जल प्रदूषण [ Pollution ]। जीवन के अनिवार्य स्रोत के रूप में वायु के बाद प्रथम आवश्यकता जल की ही होती है जल को जीवन कहा जाता है जल का शुद्ध होना स्वस्थ जीवन के लिए बहुत आवश्यक है देश के प्रमुख नगरों के जल का स्रोत हमारी साधा नीरा नदी है फिर भी हमें देखते ही के बड़े बड़े नगरों के गंदे नाले तथा सिरोको नदियों में से जोड़ दिया जाता है विभिन्न औद्योगिक व घरेलू क्षेत्रों से नदी व अन्य जल स्रोतों में दिन-प्रतिदिन प्रदूषण होता जा रहा है तालाबों पर रखो वह नदियों में जानवरों को नहलाना मनुष्य एवं जानवरों के मृत शरीर को जल में प्रवाहित करना आदि के जल प्रदूषण में बेतहाशा वृद्धि की है कानपुर आगरा मुंबई अलीगढ़ और यूपी न जाने कितने नगर ओके कल कारखानों का कचरा गंगा यमुना जैसी पवित्र नदियों में प्रदूषित [ Pollution ] करता हुआ सागर तक पहुंच रहा है।

27172616348 069da5a3e3 c

ध्वनि प्रदूषण [ Pollution ] ध्वनि प्रदूषण [ Pollution ]आज की एक नई समस्या है इसे वैज्ञानिक प्रगति ने पैदा किया है मोटर का ट्रैक्टर जेट विमान कारखाने के रसायन मशीनों लाउडस्पीकर आदि के संतुलित को बिगाड़ कर दवनी प्रदूषण उत्पन्न करते हैं तेज लगने से श्रवण शक्ति का अर्थ होता है साथ ही कार्य करने की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है इससे अनेक प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही है कि अधिक ध्वनि प्रदूषण से मानसिक विकृति तक हो जाती है

Untitled 1 21

रासायनिक प्रदूषण [ Pollution ] कारखानों से बहते हुए अवशिष्ट द्रव्य के अतिरिक्त उपज में वृद्धि की दृष्टि से प्रयुक्त कीटनाशक दवाइयों और रासायनिक खादों से भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा ता है यह पदार्थ पानी के साथ रहकर नदी तालाब और अत्यंत समुंद्र में पहुंचकर और जीवन को अनेक प्रकार की हानि पहुंचा रहे हैं।

बढ़ते प्रदूषण [ Pollution ] की समस्या और समाधान के बारे में जानिए

समस्या और समाधान। महान शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं ने इस समस्या की ओर गंभीरता से ध्यान दिया है आज विश्व का प्रत्येक देश इस और सगाई है वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए वृक्षारोपण सर्वश्रेष्ठ साधन है मानव को चाहिए कि वह वृक्ष और वनों को कुल्हाड़ी का निशाना बनाने के बजाय उन्हें फलते फूलते देखें तथा सुंदर पशु पक्षियों को अपना भोजन बनाने के बजाय उनके सुरक्षा करें । बढ़ती जनसंख्या को सीमित करना होगा जिससे उनके आवास के लिए खेतों और वनों को कम न करना पड़े कारखानों और मशीनों लगाने की अनुमति उन्हीं पर व्यक्तियों को दिए जाने चाहिए जो औद्योगिक कचरे और मशीनों के दोनों को बाहर निकालने के समुचित व्याख्या कर सकता है संयुक्त राष्ट्र संघ को चाहिए कि वे परमाणु प्रशिक्षण को नियंत्रित करने की दिशा में कदम उठाए।

उपसंहार। पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण को रोकने व उसके समुचित संरक्षण के लिए समस्त विश्व में एक नई चेतना उत्पन्न हुई है हम सभी का उत्तर दायित्व है कि चारों ओर बढ़ते इस प्रदूषण वातावरण के खतरों के प्रति सचेत रहे।

Leave a Comment

Copy link
Powered by Social Snap