यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय – महत्वपूर्ण प्रश्न – 4

फ्रांस की क्रांति के प्रमुख कारण।

1789 ई° में होने वाली फ्रांस की क्रांति राजतंत्र की समाप्त हो गया। वहां लुई वंश का अंत हो गया। लुई सोलहवे और उसकी रानी को क्रांतिकारियों ने मृत्यु के घाट उतार दिया। इसके बाद राष्ट्रवाद क्रांतिकारियों ने फ्रांस मैं लोकतंत्र की। स्थापना कि इस क्रांति के प्रमुख कारण थे-

  • (1) अयोग्य शासक – जिस समय फ्रांस में क्रांति हुई उस समय वहां पर लुई वंश का शासन था। इस वंश का लुई सोलहवे वहां पर शासन कर रहा था। वहां एक अयोग्य शासक था। उसे जनता के यह तो की कोई परवाह नहीं था। अयोग्यता के साथ ही महा एक अत्यंत जिद्दी स्वभाव बाला और अदूरदर्शी राजा भी था। वह अपने कर्तव्य के प्रति सर्वथा उदासीन था। अपनी निरंकुशता को बनाए रखने के लिए वह जनता को किसी भी प्रकार से सबल नहीं बनाना चाहता था। वह जनता के कल्याण के लिए किसी भी तरह के सुधारों के पक्ष में नहीं था। उस के शासनकाल में जनता की दशा अत्यंत दयनीय हो गई। साठी फ्रांस की आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई।
  • (2) मध्यम वर्ग – इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति का फ्रांस पर भी प्रभाव हुआ और वहां भी उद्योगों की स्थापना होगी शुरू हो गई। औद्योगिकरण के कारण देश में मध्यम वर्ग का उदय हुआ। इस वर्ग का उदय हुआ इस वर्ग में डॉक्टर, वकील, छोटे उद्योगपति, अध्यापक और निम्न पदों पर कार्यरत आते थे। यह मध्यमवर्ग राष्ट्रवादी विचारों से प्रभावित था और निरंकुश राजतंत्र को समाप्त करना चाहता था। यह देश में राजतंत्र के स्थान पर प्रजातंत्र की स्थापना करना चाहता था। यही कारण है कि जब साधारण जनता राजशाही के विरुद्ध हुई तब इस वर्ग के लोगों ने जनता का पूर्ण समर्थन और साथ दिया।
  • (3) आम जनता की दयानीय दशा – इस क्रांति के समय फ्रांस में कुलीन वर्ग के लोग, राजा लुई सोलहवे और दूसरे उच्च वर्ग के व धनी लोग विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे थे। उन्हें साधारण जनता और मध्यम वर्ग के लोगों से कोई सहानुभूति नहीं थी। दूसरी ओर आम जनता की दशा बहुत खराब हो चुकी थी बेर रोजी रोटी के लिए भटक रहे थे।
  • (4) मजदूर वर्ग की दुर्दशा – फ्रांस में जो छोटे-बड़े उद्योग स्थापित हुए उनमें काम करने वाले मजदूरों में भी असंतोष और विद्रोह की भावना का निरंतर विकास हो रहा था। उन्हें अपने काम के बदले उचित वेतन प्राप्त नहीं होता था। और उनके काम के घंटे भी निर्धारित नहीं थे उनके काम करने की दशाए सुरक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से असंतोषजनक थी। किसी भी दुर्घटना की स्थिति में मजदूरों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता था। इन समस्त स्थितियों के कारण यह है मजदूर वर्ग भी क्रांति का पक्षधर हो गया और क्रांति के समय इस वर्ग ने क्रांतिकारियों का पूरा साथ दिया।
  • (5) दार्शनिकों का प्रभाव – इस समय यूरोप और फ्रांस में कई क्रांतिकारी दार्शनिक सामने आए। उन्होंने अपने विचारों से राजतंत्र के शासन को दुष्प्रभाव तथा शासक वर्ग की कमियों और उसकी मानसिकता को आम जनता के सामने स्पष्ट किया देश की न्याय- व्यवस्था की कमियों, असमानता और जनता पर होने वाले अन्याय हो तथा फ्रांसीसी समाज की बुराइयों से भी जिन्होंने जनता को अवगत कराया। उन्होंने क्रांतिकारी विचारों को सुनकर फ्रांस की जनता में भी क्रांतिकारी भावना का संचार हो उठा और वे राजशाही के विरुद्ध क्रांति के लिए तत्पर हो गए।

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