उपन्यास संस्कार से क्या आशा है? उसके महत्व को स्पष्ट कीजिए.
उत्तर-वैदिक अथवा प्राचीन भारतीय शिक्षा की एक विशेषता उपन्यन संस्कार को अनिवार्य रूप से संपन्न करना भी था। शाब्दिक अर्थ के अनुसार उपन्यन संस्कार से आशा है-‘ निकट ले जाना ,।इस अर्थ के ही अनुसार जब बालक को शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरु के पास अर्थात गुरुकुल में ले जाया जाता था, तब उपन्यन संस्कार संपन्न किया जाता था। इस अवसर पर सर्वप्रथम गुरु द्वारा शिष्य को गायत्री मंत्र का जाप कराया जाता था ,तदुपरांत व्यवस्थित शिक्षा प्रारंभ की जाती थी। वैदिक काल मैं प्रचलित उपन्यन संस्कार के आशय एवं महत्व को डॉक्टर अलतेकर ने इन शब्दों में स्पष्ट किया था -उपन्यन संस्कार का आरंभ पूर्व-ऐतिहासिक युग से माना जाता था यह संस्कृत ब्राह्मण, क्षत्रिय और वेश्य वर्णों के बाल्को के लिए अनिवार्य था जिस प्रकार कोई व्यक्ति ‘कलमा’ के बिना मुसलमान या बिना बपतिस्मा के के ईसाई नहीं कहा जा सकता था, उस प्रकार प्राचीन भारत में कोई बालक बिना ‘उपन्यन’ के वैदिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकता था।”