KGMU में सेंटर फॉर प्रोसिजन मेडिसिन सेंटर का शुभारंभ: चिकित्सा विश्वविद्यालय में बनेगा उत्तर भारत का पहला पर्सनलाइज्ड मेडिसिन का एडवांस सेंटर, गंभीर रोगों का आसानी से होगा उपचार

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लखनऊ34 मिनट पहले

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KGMU के सेंटर फॉर प्रोसिजन मेडिसिन सेंटर के शुभारंभ अवसर पर VC डॉ बिपिन पुरी के साथ डॉ एके त्रिपाठी व इंटरनेशनल कंसलटेंट डॉ. धवेंद्र कुमार - Dainik Bhaskar

KGMU के सेंटर फॉर प्रोसिजन मेडिसिन सेंटर के शुभारंभ अवसर पर VC डॉ बिपिन पुरी के साथ डॉ एके त्रिपाठी व इंटरनेशनल कंसलटेंट डॉ. धवेंद्र कुमार

KGMU यानी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में शुक्रवार को सेंटर फॉर प्रोसीजर मेडिसिन की शुरुआत हुई। यह सेंटर पर्सनलाइज्ड मेडिसिन पर केंद्रित उत्तर भारत का पहला सेंटर है। इस केंद्र पर गंभीर रोगों को पहचान कर विशेषज्ञों की निगरानी में मरीजों का प्रभावी व सटीक उपचार की सुविधा उपलब्ध रहेगी।

पर्सनलाइज्ड मेडिसिन पर होगा फोकस –

KGMU के सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च व हिमैटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एके त्रिपाठी ने बताया कि सेंटर फॉर प्रोसिजन मेडिसिन और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन बनने से क्वालिटी मेडिसिन पर फोकस किया जा सकेगा।इसके बनने से बीमारी की पुख्ता जांच और इलाज मुमकिन होगा। उन्होंने बताया कि सभी मनुष्य के जीन की संरचना अलग होती है। मॉलीक्यूलर स्तर पर बदलाव होता है। बीमारी और उसका प्रभाव भी अलग होता है। बहुत सी दवाएं कुछ मरीजों पर फायदा करती हैं, तो दूसरे व्यक्ति पर वे दवाएं बेअसर साबित होती हैं। उन्होंने कहा कि पर्सनलाइज्ड मेडिसिन में व्यापक तरीके से एक व्यक्तिगत रोगी के कई पहलूओ को शामिल किया जाता है। जिसमें आयु, लिंग, आनुवांशिक विशेषताएं को शामिल किया जाता है। इसमें जीवन की गुणवत्ता, मानसिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी शामिल किया जाता है।

सेंटर को स्थापना KGMU के लिए मील का पत्थर

KGMU कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि प्रोसिजन और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन वैज्ञानिक समुदाय और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में एक रेवोल्यूशनरी कदम के रूप में सामने आ रहा है। चिकित्सा विश्वविद्यालय में इस सेंटर की स्थापना मील का पत्थर साबित होगी। इनके सही उपयोग से शोध, अध्ययन का फायदा मरीजों को मिलेगा। इस सेंटर के लिए अलग से भवन बनेगा।

एडवांस केअर के साथ सटीक इलाज संभव

लंदन स्थित क्वीनमेरी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर व सेंटर फॉर प्रोसिजन मेडिसिन के अन्तरराष्ट्रीय वरिष्ठ सलाहकार डॉ. धवेंद्र कुमार ने कहा कि जीनोम के अध्ययन से कैंसर के लक्षणों की पहचान में तेजी से तरक्की हुई है। इससे कैंसर के सटीक इलाज में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि टारगेट थेरेपी सीधे बीमारी पर वार करती है। दूसरे अंगों को कम नुकसान पहुंचाती हैं। म्यूटेशन जीन की जांच कर दवाओं का अच्छी तरह से चयन किया जा सकता है।

 

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