विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व जानिए निबंध।

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प्रस्तावना विद्यार्थी देश का भविष्य है देश के प्रत्येक प्रकार का विकास विद्यार्थियों पर निर्भय निर्भर है विद्यार्थी जाति समाज और देश का निर्माता होता है अतः विद्यार्थी का चरित्र उत्तम होना बहुत आवश्यक है उत्तम चरित्र अनुशासन से ही बनता है अनुशासन जीवन का प्रमुख अंग और विद्यार्थी जीवन की आधारशिला है व्यवस्थित जीवन व्यतीत करने के लिए मात्र विद्यार्थी ही नहीं प्रत्येक मनुष्य के लिए अनुशासित होना अति आवश्यक है।

विद्यार्थी और विद्या। विद्यार्थी का अर्थ है विद्या का आरती अर्थात विद्या प्राप्त करने के काम ना करने वाला विद्या लौकी किया सांसारिक जीवन की सफलता का मूल आधार है जो गुरु कृपया से प्राप्त होते हैं इससे विद्यार्थी जीवन के महत्व का भी पता चलता है क्योंकि यही समय है जब मनुष्य अपने समस्त भावी जीवन की सफलता की आधारशिला रखता है यदि यह कल व्यर्थ चला जाए तो सारा जीवन नष्ट हो जाता है।

पारिवारिक कारण बालक की पहली पाठशाला उसका परिवार है माता पिता के आचरण का बालक पर गहरा प्रभाव पड़ता है आज बहुत से ऐसे परिवार है जिसमें माता-पिता दोनों नौकरी करते हैं या अलग-अलग व्यस्त रहती है और अपने बच्चों की ओर ध्यान देने हेतु उन्हें अवकाश नहीं मिलता इससे बालक अपेक्षित होकर विद्रोही बन जाता है दूसरी ओर किसी लाड प्यार से भी बच्चा बिगड़ कर नीरकुंश स्वेच्छाचारी हो जाता है

सामाजिक कारण विद्यार्थी जब समाज के चतुर्दिक व्यापक भ्रष्टाचार घूसखोरी सिरफा सारी सभाजी भाई भतीजावाद चीजों में मिलावट फैशन पंथी विलासिता और बगहा अर्थात प्रत्येक स्तर पर व्यास अनिका को देखता है तो उसका भावुक मन शिव बुक हो उठता है वह विद्रोही कर उठता है और अध्ययन की अपेक्षा करने लगता है

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राजनीतिक कारण छात्र अनुशासनहीनता का एक बहुत बड़ा कारण राजनीति है आज राजनीतिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर छा गई है संपूर्ण वातावरण को उसने इतना विश्वास कर दिया है कि स्वास्थ्य वातावरण में सांस लेना कठिन हो गया है नेता लोग अपने दलिया स्वार्थों की पूर्ति के लिए विद्यार्थियों की नौकरी है आदि के प्रलोभन देकर पथभ्रष्ट करते हैं

शैक्षिक कारण छात्र अनुशासन हीनता का कदाचित सबसे बड़ा कारण यही है अध्ययन के लिए आवश्यक अध्यक्ष सामग्री भवन सुविधाजनक छात्रावास एवं अन्य सुविधाओं का भाव सिफारिश भाई भतीजावाद या घूसखोरी अधिकारियों के सहयोग दें कर्तव्य परायण एवं चरित्रवान शिक्षकों के स्थान पर आयोजित अध्यापकों की नियुक्ति अध्यापकों द्वारा छात्रों की कठिनाइयों की अपेक्षा करके आदि के चक्कर में लगे रैना या आराम मतलबी के कारण मनमाने ढंग से कक्षाएं लेना या नहीं लेना छात्र और अध्यापकों की संख्या में बहुत बड़ा अंतर होना जिससे दोनों में आत्मीय का संबंध स्थापित ना हो पाना सामग्री प्रणाली का दूषित होना जिससे विद्यार्थी को योग्यता का यही मूल्यांकन नहीं हो पाना आदि छात्र अनुशासनहीनता के प्रमुख कारण है ,

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